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Showing posts from September, 2014

भारत में बाल यौन शोषण कानून :-

भारत में बाल यौन शोषण कानून को बाल संरक्षण नीतियों के भाग के रूप में अधिनियमित किया गया है। भारत की संसद ने 22 मई 2012 को "लैंगिक अपराध से बालकों का संरक्षक अधिनियम, 2011" (Protection of Children Against Sexual Offences Bill, 2011) पारित कर दिया, जिसे  लैंगिक हमला, लैंगिक उत्पीड़न और अश्लील साहित्य के अपराध से बालकों का संरक्षण करने और ऐसे अपराधों का विचारण करन के लिए विशेष न्यायालयों की स्थापना तथा उनसे सम्बंधित या आनुषंगिक विषयों के लिए उपबंध करने के लिए अधिनियम बनाया गया है । कानून के अनुसार सरकार द्वारा तैयार नियम भी 14 नवंबर, 2012 को अधिसूचित किया गया है और कानून लागू करने के लिए तैयार हो गया है। भारत के 53 प्रतिशत बच्चे यौन शोषण का किसी ना किसी रूप में सामना करते हैं। इन हालत में कड़े कानून की जरूरत काफी समय से महसूस की जा रही थी।  यौन अपराधों के कानून से बच्चों का संरक्षण : -   नए कानून के तहत बाल अपराधों की कई किस्म प्रदान की गयी है जिसके माध्यम से आरोपी को हर हाल में दंडित किया जा सकता है। नए कानून के माध्यम से बाल अपराधों को विस्तारित किया गया है अब  यौन उत्

साइबर क्राइम करना भारी पड़ेगा :-

कंप्यूटर, इंटरनेट, डिजिटल डिवाइसेज, वर्ल्ड वाइड वेब आदि के जरिए किए जाने वाले अपराधों के लिए छोटे-मोटे जुर्माने से लेकर उम्र कैद तक की सजा दी जा सकती है। दुनिया भर में सुरक्षा और जांच एजेंसियां साइबर अपराधों को बहुत गंभीरता से ले रही हैं। ऐसे मामलों में सूचना तकनीक कानून 2000 और सूचना तकनीक (संशोधन) कानून 2008 तो लागू होते ही हैं, मामले के दूसरे पहलुओं को ध्यान में रखते हुए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), कॉपीराइट कानून 1957, कंपनी कानून, सरकारी गोपनीयता कानून और यहां तक कि बिरले मामलों में आतंकवाद निरोधक कानून भी लागू किए जा सकते हैं। कुछ मामलों पर भारत सरकार के आईटी डिपार्टमेंट की तरफ से अलग से जारी किए गए आईटी नियम 2011 भी लागू होते हैं। कानून में निर्दोष लोगों को साजिशन की गई शिकायतों से सुरक्षित रखने की भी मुनासिब व्यवस्था है, लेकिन कंप्यूटर, दूरसंचार और इंटरनेट यूजर को हमेशा सतर्क रहना चाहिए कि उनसे जाने-अनजाने में कोई साइबर क्राइम तो नहीं हो रहा है। तकनीकी जरियों का सुरक्षित इस्तेमाल करने के लिए हमेशा याद रखें कि इलाज से परहेज बेहतर है। साइबर क्राइम, कानून और सज़ा :- हैकिंग :

विधि सन्देश 'काशी'

प्रथम संस्करण - शारदीय नवरात्र  शुक्रवार - 26 सितम्बर 2014 वाराणसी कचहरी  वर्ष : 1 - अंक : 1 - कुल पृष्ठ : 8 http://vidhisandeshkashi.blogspot.in/2014/09/blog-post_25.html   Page No. 1 Page No. 2 http://vidhisandeshkashi.blogspot.in/  

Best wishes for Navratri :-

Goddess 'Durga' is an embodiment of 'Shakti' who overcame the evils of the world.  May this Navratri, everyone uses Her blessings and power to overcome their problems in life.  ~ Wish you a very Happy Navratri ~ Happy Navratri - Anshuman Dubey - 2014

हिंदी भाषा का उच्चतम न्यायालय में प्रयोग :-

संविधान के रक्षक उच्चतम न्यायालय का राष्ट्र भाषा हिंदी में कार्य करना अपने आप में गौरव और हिंदी को प्रोत्साहन का विषय है। राजभाषा पर संसदीय समिति ने 28 नवंबर 1958 को संस्तुति की थी कि उच्चतम न्यायालय में कार्यवाहियों की भाषा हिंदी होनी चाहिए। इस संस्तुति को पर्याप्त समय व्यतीत हो गया है, किंतु इस दिशा में आगे कोई सार्थक प्रगति नहीं हुई है। जनगणना के आंकड़ों के अनुसार देश में अंग्रेजी भाषी लोग मात्र 0.021% ही हैं। इस दृष्टिकोण से भी अत्यंत अल्पमत की, और विदेशी भाषा जनता पर थोपना जनतंत्र का स्पष्ट निरादर है। देश की राजनैतिक स्वतंत्रता के 67 वर्ष बाद भी देश के सर्वोच्च न्यायालय की कार्यवाहियां अनिवार्य रूप से ऐसी भाषा में संपन्न की जा रही हैं, जो 1% से भी कम लोगों में बोली जाती है। इस कारण देश के सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों से अधिकांश जनता में अनभिज्ञता व गोपनीयता, और पारदर्शिता का अभाव रहता है। अब संसद में समस्त कानून हिंदी भाषा में बनाये जा रहे हैं और पुराने कानूनों का भी हिंदी अनुवाद किया जा रहा है अतः उच्चतम न्यायालय को हिंदी भाषा में कार्य करने में कोई कठिनाई नहीं है। राष्ट्रीय