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Showing posts from March, 2015

माननीय न्यायाधीश कहिन :-

न्यायाधीश महाेदय यह समझाना चाह रहे हैं कि न्याय व्यवस्था मंहगी है इसलिए गरीबाें काे न्याय नहीं मिल पा रहा। दूसरा पहलू यह है कि न्याय व्यवस्था भ्रष्टाचार में लिप्त हाे चुकी है। स्वयं न्यायाधीशों पर ताे आराेप लगा नहीं सकते, इसलिए वकीलों का नाम ले लिया। वकील ताे अपने मुवक्किल के प्रति ईमानदार रहता है परन्तु क्या पीठासीन अधिकारी व उनके कर्मचारी अपने दायित्वों के प्रति ईमानदार हैं...???

राम नाम अर्थ: -

'राम' का नाम जपते है सब ताे 'राम' के नाम का मायने भी समझाें... 'राम' नाम तीन अक्षराें का संगम है। "र" + "आ" + "म" उपर्युक्त अक्षराें के मायने कुछ यूं हाे सके हैं.... "र" :- 'राम' के नाम में "रस है प्रेम" का, जिससे बन्धी थी वैदेरी प्यारी व भक्त। "आ":- 'राम' के नाम में "आस है मिलन की" जिससे बन्धें थे लक्ष्मन संग सारे भाई व भक्त। "म":- 'राम' के नाम में "माेक्ष है जीवन का" जिससे बन्धें थे बजरंगी व भक्त। समझ सकाे ताे समझाें राम के नाम काे। डूबाें और डूबाओं सबकाे प्रेम के रस में तुम। दाे आस जीने की सबकाे और आसरा बनाे सबका। माेक्ष मिल जायेगा राम के प्रेम में, बस राम के बंदाें से प्रेम करके देखाे। * रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं *

श्रद्धाजंलि - अधिवक्ता मरहूम नबी अहमद

आज दिनांक 16.03.2015 काे Ethical Lawyers Foundation ने इलाहाबाद के अधिवक्ता मरहूम नबी अहमद काे श्रद्धाजंलि अर्पित की। (Who was Died on 13-03-2015 at Allahabad Civil Court Campus, he was murdered by Policeman in day light and also in front of many advocates & others) श्रद्धाजंलि अर्पित बनारस बार के अध्यक्ष शम्भू शरण चाैरसिया, महामंत्री अजय विक्रम सिंह, एड. दीवाकर दूबे, एड.श्रीनिवास मिश्र, एड.सच्चा बाबू, एड.अनिल कुमार पाठक. एड.रमन प्रसाद श्रीवास्तव, एड.उदय शंकर दूबे, एड.विवेक सिंह, एड.दुर्गा प्रसाद, एड.महफूज आलम, एड.किशन चन्द यादव, एड.मुकेश कुमार विश्वकर्मा, एड.सुशील कुमार तिवारी, एड.अनुराग द्विवेदी, एड.सुशील यादव, एड.अरविन्द राय, एड.इकबाल हसन पप्पू, एड.राजीव कुमार गाेस्वामी, एड.राहुल सिंह, एड.राकेश पाण्डेय, एड.शहनवाज खान, एड.अंशुमान दुबे, आदि अधिवक्तागण ने माेमबत्ती जलाकर श्रद्धासुमन अर्पित किया और दाे मिनट का माैन रखा।

बलात्कार की शिकार महिला को कहीं भी इन्साफ़ नहीं मिलता :-

बलात्कार एक ऐसा अपराध है जिसमें हमेशा महिलाएं ही पीड़ित होती हैं।बलात्कारियों को अदालत से दोष सिद्ध हो जाने के बाद ही सरकारी तौर पर बलात्कारी माना जाता है और भारत में बलात्कार करना जितना आसान है उसको दोषी साबित करना उतना ही कठिन है।इस अपराध की पीड़िता अकेली पुलिस में केवल इसलिए शिकायत करने ही हिम्मत नहीं जुटा पाती क्योंकि पुलिस स्टेशन पहुँचने में तो कोई दिक्क़त नहीं होती परन्तु उसके बाद उसको अन्देशा रहता है कि जिस बात की शिकायत वह लेकर पहुंची है कहीं वह काम उसके साथ पुलिस स्टेशन में न दोहरा दिया जाय।अब ऐसी छवि वाली पुलिस जिस तरह की विवेचना करके अदालत तक केस पहुंचाती है उसमें शातिर किस्म के आरोपी से साठ गाँठ करके कुछ ऐसी त्रुटियाँ छोड़ दी जाती हैं जिनकी बुनियाद पर दोष सिद्ध न होने के कारण आरोपी बरी हो जाता है। एक बार मायावती ने बयान दिया था कि उनकी पार्टी (ब.स.पा.) किसी बलात्कारी को चुनाव में टिकिट नहीं देगी।यह बात उन्होंने दोष सिद्ध अपराधियों के लिये कही होगी जबकि ऐसे अपराधियों को तो चुनाव आयोग ही इजाज़त नहीं देता लिहाज़ा उनके इस कथन का कोई मूल्य ही नहीं रह जाता है।मायावती को देश की न्यायाय

रावण ने ताे सिर्फ मां का हरण किया था और प्रभु राम ने उसे मृत्युदण्ड दिया था, ताे फिर कलयुग के इन बलात्कारी रावणाें काे मृत्युदंड क्याें नहीं...???

All are political drama. No one interested in safety of "Girl or Women". BBC documentary reflects thoughts of society, proceedings of police, another face of judiciary and law officer of the courts. "सुप्रीम काेर्ट हर छाेटी बड़ी चीज़ पर ध्यान देता, पर निर्भया मुकदमें की सुनवाई साल भर में नहीं कर पाया आैर हमारे बडे़ कानून विद बात करते हैं Judicial Activism or Judicial Reform की। यहां मेरा अपना विचार है कि "हम आज़ाद ताे हाे गये परन्तु civilised नहीं हाे पाये।" - पर माता के मन्दिर में ताे जाना है। - कानून नये बनाना है, पर कागज तक सीमित रखना है। - निजता के नाम पर कुछ भी कहना है। - आैरत ने जाया है फिर भी उसी का दाेहन करना है। - आैरत इस्तेमाल की चीज नहीं है, वह समाज में सम्मान का प्रतीक है। - बलात्कार करने वाले ताे रावण से भी ज्यादा गये बीते हैं। मृत्यु दण्ड से कम कुछ भी स्वीकार नहीं है। "अगर मेरा बेटा ऐसा कुकृत्य करता ताे मैं उसके विरूध्द भी मुकदमा लड़ने काे तैयार रहता।" मैं प्रयास कर रहा हूँ कि वह एक अच्छा इंसान बने आैर औरताें का सम्मान करें।

आज काशी शर्मसार है :-

माननीय सांसद महाेदय जी एवं परम आदरणीय प्रधानमंत्री जी, एक कर्नल अपनी 10 दिनाें की यात्रा में वाराणसी की सड़काे व गड्ढाें, छुट्टा पशुओं, शहर की स्वच्छता व अन्य से बेहाल हाे गये। "जरा हम काशीवासियाें के विषय में साेचें..?" हम लाेग ताे इस पावन नगरी में 24x7x365 दिनों रहते हैं। कर्नल साहब ताे शासन काे गड्ढाें काे भरने के लिए रूपया तक देने काे तैयार हैं। आज एक काशीवासी हाेने के नाते मैं शर्मिन्दा हूँ आैर कर्नल साहब से क्षमा प्रार्थी हूँ। शर्म कराे नगर निगम, वी.डी.ए., पी.डब्ल्यू.डी.,.... SORRY गलती हाे गई..... 'शर्म' शब्द ताे इनके शब्दकाेष में है ही नहीं।

भारत संग होली मानना है :-

सबको प्रेम का रंग लगाना है, होली हमें भारत संग मानना है।  प्रतिकार करो, चाहे इंकार करो, पर प्रेम के रंगों को स्वीकार करो।  तिरंगे के रंगों से तुम्हें नहलाना है, होली हमें भारत संग मानना है। भर पिचकारी प्रेम की बौछार जो मारी, भीगा तन, भीगेंगे आत्मा भी तुम्हारी।    सबको भारत के रंग में रंगना है,   होली हमें भारत संग मानना है।  अबीर गुलाल तो सिर्फ बहाना है, हमें तो भारत के दिलों से दूरियों को मिटाना है।  तो फिर कैसा और किससे शर्माना है,   होली हमें भारत संग मानना है। - अंशुमान दुबे Advocate Anshuman Dubey wishes all friends, brothers & Sisters "Happy HOLI'