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Showing posts from September, 2015

सूचना का अधिकार ने आम लोगों को मजबूत और जागरूक बनाने में बड़ी भूमिका निभाई है:- 

सूचना का अधिकार अधिनियम - 2005 (आई.टी.आई.) ने हम लाेगाें और आम लोगों को मजबूत और जागरूक बनाने में बड़ी भूमिका निभाई है। यह कानून देश में 2005 में लागू हुआ। इस कानून का उपयोग करके आप किसी भी विभाग या सरकारी महकमे से संबंधित अपने काम की जानकारी पा सकते हैं। लेकिन आज हम आपको इसके बारे में कुछ रोचक जानकारी देने जा रहे हैं। आई.टी.आई. से आप सरकार से कोई भी सवाल पूछ सकते हैं। किसी भी दस्तावेज की जांच कर सकते हैं। आर.टी.आई. से आप दस्तावेज या डाक्यूमेंट्स की प्रमाणित कॉपी ले सकते हैं। सरकारी कामकाज में इस्तेमाल सामग्री का नमूना भी ले सकते हैं।  कुछ लोगों का सवाल आया है कि, आर.टी.आई. में कौन-कौन सी धारा हमारे काम की हैं?  तो वो इस प्रकार है- धारा 6 (1)-  आर.टी.आई. का ऐप्लीकेशन लिखने की धारा। धारा 6 (3)-  अगर आपका ऐप्लीकेशन गलत विभाग मे चला गया है तो गलत विभाग इसको 6 (3) धारा के अंतर्गत सही विभाग में 5 दिन के अंदर भेज देगा। धारा 7(5)-  इस धारा के अनुसार BPL कार्ड वालों को कोई आरटीआई शुल्क नहीं देना होता। धारा 7 (6)-  इस धारा के अनुसार अगर आरटीआई का जवाब 30 दिन में नहीं आता है तो सूचना फ्र

प्रदेश सरकार द्वारा मृत अधिवक्ताओं के परिजनों काे 12.09.2015 काे 5 लाख की सहायता राशि दी जायेगी:-

यह ताे अच्छी पहल है, जिसे काफी संघर्ष और बलिदान के बाद हम अधिवक्ताओं ने प्राप्त किया है। आश्चर्य की बात यह है कि, सिर्फ 17 लाेगाें काे चेक दिया जायेगा। जबकि 20 कराेड़ रूपये इस कार्य के लिए आबंटित है। अर्थात 400 मृत अधिवक्ताओं के परिजन लाभान्वित हाे सकते हैं। ताे फिर सिर्फ 17 क्याें...??? यह बार काउंसिल के सदस्याें व महाधिवक्ता काे स्पष्ट करना चाहिए। क्या वाराणसी के किसी मृत अधिवक्ता के परिजन काे भी 5 लाख का चेक मिल रहा है...??? यह प्रश्न इसलिए क्योंकि वाराणसी से तीन सदस्य बार काउंसिल अॉफ उत्तर प्रदेश में हैं और वे मृतक अधिवक्ताओं के प्रति जवाबदेह भी माने जा सकते हैं, यदि वे ऐसा समझते हाे ताे।