जितना दबाना है, दबा लो मुझको,
जितना हराना है, हरा लो मुझको,
जीत हार के पैमाने तुम्हारे होगें!
बीमारी तुम्हारी है, बीमार हम होगें,
जबतक गंगा उल्टी बहेंगी बहा लो उसको!
समय के तूफान में, किश्ती से उड़ जोओगे
हो अगर दम तुमें, तो आजमा लो मुझको,
'मान' सर कलम को तैयार बैठा है,
हो गर सच्चे तो हाथ में खन्जर उठालो यारों!
#AdvAnshuman
एक तर्क हमेशा दिया जाता है कि अगर बाबर ने राम मंदिर तोड़ा होता तो यह कैसे सम्भव होता कि महान रामभक्त और राम चरित मानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास इसका वर्णन पाने इस ग्रन्थ में नहीं करते ? ये बात सही है कि रामचरित मानस में गोस्वामी जी ने मंदिर विध्वंस और बाबरी मस्जिद का कोई वर्णन नहीं किया है। हमारे वामपंथी इतिहासकारों ने इसको खूब प्रचारित किया और जन मानस में यह सिद्ध करने का प्रयास किया कि कोई मंदिर टूटा ही नहीं था और यह सब झूठ है। यह प्रश्न इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष भी था। इलाहाबाद उच्च नयायालय में जब बहस शुरू हुयी तो श्री रामभद्राचार्य जी को Indian Evidence Act के अंतर्गत एक expert witness के तौर पर बुलाया गया और इस सवाल का उत्तर पूछा गया। उन्होंने कहा कि यह सही है कि श्री रामचरित मानस में इस घटना का वर्णन नहीं है लेकिन तुलसीदास जी ने इसका वर्णन अपनी अन्य कृति 'तुलसी दोहा शतक' में किया है जो कि श्री रामचरित मानस से कम प्रचलित है। अतः यह कहना गलत है कि तुलसी दास जो कि बाबर के समकालीन भी थे,ने राम मंदिर तोड़े जाने की घटना का वर्णन नहीं किया है और जहाँ तक राम चरित मानस
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